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बैंक डिफाल्टरों को RBI ने दी बड़ी राहत, बनाया ये प्लान

वास्तव में कोविड के दौरान रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने डिफॉल्टर होने से बचने के लिए मोराटोरियम का ऐलान किया था. उसके बाद भी देश के लाखों लोग बैंकों के डिफॉल्टर हो गए,
 
बैंक डिफाल्टरों को RBI ने दी बड़ी राहत, बनाया ये प्लान

Haryana Update: जो पैसों की कमी की वजह से ना तो अपने क्रेडिट कार्ड का पेमेंट कर सके और ना ही अपने पर्सनल लोन का पैसा चुका सके. इसी वजह से उनका क्रेडिट स्कोर भी खराब हो गया था. आइए जानते है इसके बारे में विस्तार से

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अगर आप किसी ना किसी वजह से बैंक लोन डिफॉल्ट कर गए हैं और विलफुल डिफॉल्टर की कैटेगिरी में आ गए हैं तो रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की ओर से काफी राहत भरी खबर है. अब ऐसे डिफॉल्टर्स के साथ बैंक बात कर सेटलमेंट करेंगे और 12 महीनों का समय देकर अपना पैसा निकालेंगे. उसके बाद अगर वह व्यक्ति लोन लेना चाहता है

 

तो उन्हें सेटलमेंट की रकम डिपॉजिट कराने के बाद दोबारा से लोन मिल जाएगा. वास्तव में कोविड के दौरान रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने डिफॉल्टर होने से बचने के लिए मोराटोरियम का ऐलान किया था.


उसके बाद भी देश के लाखों लोग बैंकों के डिफॉल्टर हो गए, जो पैसों की कमी की वजह से ना तो अपने क्रेडिट कार्ड का पेमेंट कर सके और ना ही अपने पर्सनल लोन का पैसा चुका सके. इसी वजह से उनका क्रेडिट स्कोर भी खराब हो गया था.

जिसके कारण उन्हें सेटलमेंट करने के बाद भी लोन बामुश्किल से मिल पा रहा था. अब आरबीआई के इस फैसले से आम डिफॉल्टर्स को काफी राहत मिलेगी. आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर आरबीआई किस तरह से आम लोगों को राहत देने का प्रयास किया है.


विलफुल डिफॉल्टर को लेकर आरबीआई के लिए नया नियम


रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने कोविड के बाद विलफुल डिफॉल्टर्स की संख्या में लगातार इजाफा देखने को मिला है. बैंकों का एनपीए भी काफी बढ़ा. इस दौरान सरकार ने कॉरपोरेट राइट ऑफ भी किए. जिसकी काफी आलोचना भी हुई. ऐसे में आरबीआई के सामने कड़ी चुनौती थी कि ऐसे डिफॉल्टर्स की संख्या में कमी कैसे की जाए?

आरबीआई ने अब इस गुत्थी को एक सिरे से सुलझा लिया है. सिर्फ सुलझाने शब्द से काम नहीं चलेगा, कह सकते हैं कि लोगों को बड़ी राहत भी दी है. आरबीआई ने बैंकों से कहा है कि ऐसे डिफॉल्टर्स के साथ सेटलमेंट करें और 12 महीनों का कूलिंग पीरियड देकर अपना पैसा निकालें. ये वो पहली गुत्थी है जिससे देश में छोटे डिफॉल्टर्स की संख्या में कमी आएगी.


अब दूसरी गुत्थी ये है कि सेटलमेंट तो अब भी हो रहा है, बैंक और डिफॉल्टर आपस में सेटलमेंट करते हैं और उसके बाद डिफॉल्टर कर्ज मुक्त हो जाता है, लेकिन अगर उसे दोबारा से लोन की जरूरत पड़ती है तो उन्हें आसानी से लोन नहीं मिल पाता है. बैंकों का उस वक्त नजरिया होता है कि सिबिल में सेटलमेंट दिखाई दे रहा है. बैंकों की नजर वो नेगेटिव प्रोफाइल वाला व्यक्ति होता है, फिर चाहे सिबिल स्कोर क्यों ना 800 पर पहुंच जाए. आरबीआई ने इस गुत्थी को सुलझाने में कामयाबी हासिल की है. वो ये है 12 महीने में डिफॉल्टर पूरा सेटलमेंट कर देता है तो उसके बाद वो फिर से लोन पाने का हकदार होगा. इसका मतलब है कि सेटलमेंट पूरा करने के बाद लोन लेने वालों को लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा या फिर बैंक आनाकानी नहीं कर सकेंगे.


क्या सिबिल में ​नहीं दिखाई देगा लोन सेटलमेंट का ठप्पा?


एक सवाल और है जो काफी होने के साथ कोविड काल में लाखों लोग इससे रूबरू हुए हैं वो ये है कि आरबीआई के नए सेटलमेंट प्रोसेस में अगर डिफॉल्टर पूरा सेटल्ड मनी चुकाता है क्या सिबिल में इस सेटलमेंट का ठप्पा दिखाई देगा या नहीं? क्योंकि अब नए लोन को देने के लिए इसी ठप्पे का सहारा लेकर बैंक नया पैसा देने को तैयार नहीं हो रही है. क्या आरबीआई के प्रोसेस से हुए सेटलमेंट के बाद इस ठप्पे से निजात मिलेगी या नहीं, इस बारे में अभी तक कोई जानकारी नहीं मिल सकी है.

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