केंद्र सरकार ने किसानों को दी बड़ी सौगात, अब जिसकी आएगी हाईवे में जमीन, वो होगा टोल टैक्स में साझेदार, जानें...

Haryana Update: केंद्र की विशेष योजना के तहत इन कार्यों को कराने के लिए केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय और पीडब्ल्यूडी के बीच सहमति बन गई है। यह प्रयोग आंध्र प्रदेश की राजधानी अमरावती के निर्माण के दौरान किया गया है. उत्तर प्रदेश में, पहले चरण में प्रति दिन 20,000 से अधिक पीसीयू (यात्री कार इकाई) वाले राज्य राजमार्गों को कवर किया जाएगा।
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दूसरी ओर किसानों को जमीन के बदले मिलने वाली रकम खर्च हो जाती है और उनकी आर्थिक स्थिति खराब हो जाती है. टोल टैक्स और व्यावसायिक व आवासीय क्षेत्रों में उनकी भागीदारी से यह समस्या दूर हो जायेगी. टोल टैक्स में इनकी साझेदारी कम से कम 20 साल तक रहेगी.
आईआईएम से ली जा रही मदद
संदीप कुमार पीपीपी मोड में राजमार्गों के विकास के बाद आने वाले राजस्व (टोल टैक्स आदि) को सभी पक्षों के बीच कैसे बांटा जाए, इसके लिए आईआईएम लखनऊ की मदद ली जा रही है। पीडब्ल्यूडी के विभाग प्रमुख संदीप कुमार ने कहा, ''इस संबंध में हमारे पास जल्द ही एक पूरी कार्ययोजना होगी, जिसे उच्चतम स्तर पर प्रस्तुत किया जाएगा।''
ये प्रयोग बड़े शहरों में रिंग रोड पर भी किए जाएंगे
केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय भी भागीदारी के आधार पर प्रमुख शहरों में रिंग रोड बनाने पर सहमत हो गया है। इसमें भूमि मालिकों और सड़क डेवलपर्स की भी भागीदारी होगी। दूसरे शब्दों में कहें तो जमीन देने वाले किसान की जमीन का एक निश्चित हिस्सा विकसित कर उसे वापस कर दिया जाएगा। उस जमीन का भू-उपयोग क्या होगा, उसके आधार पर विकास होगा। साथ ही, आंशिक रूप से व्यावसायिक गतिविधियों के लिए निर्माण होने से सड़क निर्माण की लागत में भी कटौती की जाएगी।
न्यूनतम 20 वर्षों के लिए साझेदारी
अब तक लागू व्यवस्था में राज्य सरकार को राजमार्गों के चौड़ीकरण के लिए किसानों से ली गई जमीन के मुआवजे के तौर पर अच्छी खासी रकम खर्च करनी पड़ती है। यह परियोजना लागत का 60 प्रतिशत तक है.
इसलिए करीब 21 राज्य राजमार्गों का चयन किये जाने की संभावना है. इन राजमार्गों के चौड़ीकरण और विकास के लिए कुल 60 मीटर की चौड़ाई में जमीन ली जाएगी। फिलहाल 30-45 मीटर चौड़ाई में जमीन उपलब्ध है. केंद्र सरकार से उनके चयन को मंजूरी मिलने के बाद उन्हें सुपर स्टेट हाईवे का दर्जा दिया जाएगा। पीडब्ल्यूडी ने इन हाईवे को चिह्नित करने का काम शुरू कर दिया है।
परियोजना में अब तीन भागीदार
हाईवे बनाने वाले ठेकेदार की लागत का एक बड़ा हिस्सा जमीन में व्यावसायिक और आवासीय कॉम्प्लेक्स बनाने से भी निकल जाएगा। इस प्रकार, इन परियोजनाओं में तीन भागीदार होंगे- सरकार, किसान और डेवलपर्स। टेंडर से लेकर अनुबंध तक सभी नियम और शर्तें केंद्रीय मंत्रालय की निगरानी में होंगी।
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