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ये हैं गजब वाली लोकसभा सीट, जिसने यहां से लोकसभा जीती उसको मिली दिल्ली की गद्दी, लेकिन इस बार....

अंबाला की आरक्षित संसदीय सीट पर इस बार कांग्रेस ने एक दशक से अधिक समय के बाद विजयी पताका फहराई है। पिछली बार जब यहां से कांग्रेस की जीत दर्ज हुई थी, वह वर्ष 2009 था, जब कुमारी सैलजा ने संसद की दहलीज पर कदम रखा था।
 
ये हैं गजब वाली लोकसभा सीट, जिसने यहां से लोकसभा जीती उसको मिली दिल्ली की गद्दी, लेकिन इस बार....

Fast Newz अंबाला की आरक्षित संसदीय सीट पर इस बार कांग्रेस ने एक दशक से अधिक समय के बाद विजयी पताका फहराई है। पिछली बार जब यहां से कांग्रेस की जीत दर्ज हुई थी, वह वर्ष 2009 था, जब कुमारी सैलजा ने संसद की दहलीज पर कदम रखा था। इस चुनावी मुकाबले में वरुण चौधरी ने विजयी शंखनाद किया है। अंबाला के मतदाताओं ने लगभग तीन दशकों के बाद ऐसे प्रतिनिधि को चुना है जो केंद्रीय सत्ता में नहीं होंगे।

न्यायिक विशेषज्ञ और चुनावी विश्लेषक हेमंत कुमार के अनुसार, अंबाला से चुने गए सांसद लगभग तीन दशकों के बाद संसद में विपक्ष की भूमिका निभाएंगे। पिछले पांच आम चुनावों में, जो भी प्रतिनिधि अंबाला से चुने गए, उनकी पार्टी ने केंद्र में सरकार बनाई थी।

वर्ष 1999 में, जब रतन लाल कटारिया ने भाजपा के टिकट पर अंबाला से जीत हासिल की, तब अटल बिहारी वाजपेयी की अगुवाई में एनडीए की सरकार सत्ता में आई थी। इसके बाद, 2004 और 2009 में कुमारी सैलजा ने कांग्रेस के लिए यह सीट जीती, और उस समय डॉ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व में यूपीए की सरकार थी।

सैलजा ने केंद्र में एक दशक तक मंत्री के रूप में सेवा की। फिर 2014 और 2019 में, जब रतन लाल कटारिया ने फिर से इस सीट पर विजय प्राप्त की, तो नरेंद्र मोदी की सरकार ने केंद्र में शासन किया। हेमंत कुमार ने यह भी बताया कि पिछले 72 वर्षों में केवल पांच बार ऐसा हुआ है जब अंबाला से चुने गए सांसद की पार्टी केंद्र में सरकार नहीं बना पाई।

अंबाला से चुने गए पांच पूर्व सांसद, जो विपक्ष में बैठे:
- 1967 में, भारतीय जन संघ के सूरज भान ने कांग्रेस की पी. वती को हराया, लेकिन इंदिरा गांधी की कांग्रेस ने सरकार बनाई।
- 1980 में, जनता पार्टी के सूरज भान ने फिर से जीत हासिल की, लेकिन केंद्र में फिर से कांग्रेस की सरकार बनी।
- 1989 में, कांग्रेस के राम प्रकाश ने भाजपा के सूरज भान को हराया, और वीपी सिंह की अगुवाई में राष्ट्रीय मोर्चा-वाम मोर्चा की सरकार बनी।
- 1996 में, भाजपा के सूरज भान ने जीत हासिल की, लेकिन अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार केवल 13 दिन चली।
- 1998 में, बसपा के अमन कुमार नागरा ने जीत हासिल की, लेकिन एनडीए की सरकार 13 महीने ही चली।

इस तरह, अंबाला की जनता ने एक बार फिर इतिहास रचा है, और इस बार कांग्रेस के वरुण चौधरी को अपना प्रतिनिधि चुनकर एक नई राजनीतिक दिशा की ओर अग्रसर हुए हैं।