Onion Farming: नुकसान की भरपाई के लिए किसान कर रहे प्याज की खेती

Onion Farming: बिहार के बक्सर जिले में आलू की पैदावार से चोट खाये किसानों ने अब प्याज की खेती करने की तैयारी शुरू कर दी है. किसानों ने खेत की फिर से जुताई कर उसमें प्याज की रोपाई करना शुरू कर दिया है.
इस प्याज को गरमा यानी ग्रीष्कालीन प्याज बोला जाता है जो फरवरी माह में रोपा जाता है. जिले के सिमरी प्रखंड सहित अन्य इलाके आलू की बड़े पैमाने पर खेती होती है.
आलू की फसल तैयार होने पर उसे बेचने के बाद जब खेत खाली हो जाता है तो किसान उसमें गरमा प्याज की रोपाई करते हैं. प्रखंड के काजीपुर गांव में आलू तैयार होने के बाद किसान कन्हैया यादव अब गरमा प्याज की रोपाई करा रहे हैं
कन्हैया बताते हैं कि इस साल वो प्याज की खेती दो एकड़ में कर रहे हैं. महंगे दाम पर जमींदार से मालगुजारी देकर सब्जी की खेती के लिए खेत लेते हैं.
वहीं, आलू की खेती में हुए नुकसान की भरपाई के लिये गरमा प्याज की रोपाई (Onion Farming) हर साल करते हैं. उन्होंने बताया कि प्याज की खेती करने में 30 से 35 हजार रुपए प्रति एकड़ लागत आता है.
फसल तैयार होने दो से ढाई महीने का वक्त लगता है. इस दौरान, नौ बार खेत की सिंचाई करनी पड़ती है. प्याज की रोपाई के लिए 40 मजदूर प्रति एकड़ में लगते हैं.
हर मजदूर को एक दिन का 200 रुपये मेहताना देना होता है. उन्होंने बताया कि यदि मौसम अनुकूल रहा तो इस खेती से लागत से मुनाफा डबल हो जाता है.
फसल को बचाने में आती है कई चुनौतियां
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कन्हैया यादव ने बताया कि जब फसल तैयार होती है तो आमदनी बाजार के ऊपर भी निर्भर करता है. कभी-कभी खेत से 1,500 तो कभी 600 रुपए प्रति क्विंटल की रेट से प्याज बिकता है.
ऐसे में आमदनी का सही आकलन लगाना मुश्किल है. उन्होंने बताया कि प्याज की फसल को बचाने में कई चुनौतियां किसानों के समक्ष होती है. जंगली जानवर जैसे नीलगाय, सुअर व हिरण से फसल को काफी नुकसान होता है.
इसके अलावा बन्दरी रोग से फसल का विकास रुक जाता है. इसके लिए दुकान से कीटनाशक दवा लाकर पौधों पर छिड़काव करना होता है.
वही, यदि मौसम विपरीत हुआ और ओलावृष्टि हुई तो सारा फसल बर्बाद हो सकता है और लागत भी नहीं निकल पाता है.
बहरहाल, प्रत्येक वर्ष आलू की खुदाई के बाद ग्रीष्मकालीन प्याज की रोपाई इस उम्मीद से की जाती है कि पैदावार अच्छी हुई तो पूर्व के सभी नुकसानों की भरपाई हो जाएगी.