एक किसान ने पारंपरिक खेती को छोङ कर, शुरू की सब्जीयों की खेती, और कमाने लगा लाखों रूपए, जानें...

Haryana Update: रामेश्वर सिंह ने कहा कि क्षेत्र में बारिश का ग्राफ लगातार गिर रहा है. किसान अधिक पैदावार पाने के लिए फसलों में अत्यधिक रासायनिक उर्वरकों का छिड़काव करते हैं। इससे उत्पादकता तो प्रभावित होती ही है, स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। धान की खेती से किसानों को प्रति कट्ठा मात्र 700 से 600 रुपये की आमदनी होती है.
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हर महीने 50 से 60 हजार की कमाई हो रही है
रामेश्वर सिंह ने बताया कि वे 10 कट्ठा में सब्जी की खेती कर रहे हैं. तैयार सब्जियों को बाजार में ले जाकर बेचा जाता है। इससे कमाई अधिक होती है. उन्होंने बताया कि वह सब्जी की खेती से प्रति माह 50,000 से 60,000 रुपये तक कमा लेते हैं. इस आय से 8 परिवारों का भरण-पोषण भी होता है। जब सब्जी धीमी गति से उगाई जाती है तो मुनाफा अधिक होता है।
पिछले 10 वर्षों से सब्जियां उगा रहे हैं
वे लोगों के स्वास्थ्य का भी ख्याल रखते हैं. इसलिए वे जैविक तरीके से खेती करते हैं। हालांकि, वर्तमान में कम बारिश के कारण सिंचाई में अतिरिक्त खर्च करना पड़ रहा है. साथ ही आवारा जानवर भी परेशान कर रहे हैं। इसके लिए फसल सुरक्षा की आवश्यकता है। अकाल जैसी स्थिति है. किसान अभी भी बारिश का इंतजार कर रहे हैं।
सीतामढी के किसान अब उसी ट्रेंड पर चल रहे हैं. परिहार के किसान रामेश्वर सिंह भी सब्जियां उगा रहे हैं और पारंपरिक फसलों से ज्यादा मुनाफा कमा रहे हैं. रामेश्वर सिंह पिछले 10 वर्षों से सब्जियां उगा रहे हैं और क्षेत्र के किसानों को प्रेरित भी कर रहे हैं।
कट्ठा में 4 से 5 हजार रुपये की कमाई
सब्जी की खेती में एक कट्ठा में 4 से 5 हजार रुपये की कमाई होती है. उन्होंने बताया कि सब्जी की खेती के लिए वह खेत पर 10 घंटे तक का समय बिताते हैं। तभी सब्जी की पैदावार अच्छी होती है. उन्होंने कहा कि वर्तमान में 10 कट्ठा में बैंगन, कद्दू, भिंडी, घीया व अन्य सब्जियों की खेती कर रहे हैं.
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